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परिचय

शंकर लालवानी

शंकर लालवानी का जन्म 16 अक्टूबर 1961 को इंदौर में हुआ था। उनके पिता जमनादास लालवानी अखंड भारत के विभाजन से पहले इंदौर आए थे। जमनादास लालवानी इंदौर आकर भी आरएसएस में सक्रिय थे। वे जनसंघ पार्टी में थे और सामाजिक कामों में सक्रिय रहते थे। वे कई वर्षों तक मध्य प्रदेश में सराफा एसोसिएशन के अध्यक्ष भी रहे। शंकर लालवानी की माताजी श्रीमती गोरी देवी लालवानी एक गृहिणी थीं।

शंकर लालवानी ने मध्य प्रदेश माध्यमिक शिक्षा बोर्ड से हायर सेकेंडरी की परीक्षा पास की, फिर मुंबई से बी-टेक की पढ़ाई की फिर इंदौर आकर व्यापार और कंसल्टेंसी में लग गए। एक युवा के रूप में, वे हमेशा राष्ट्र के महान देशभक्तों की कहानियों से प्रेरित थे और राष्ट्र की प्रगति के लिए काम करने का सपना देखते थे।

1994 से 1999 तक वे इंदौर नगर निगम में पार्षद रहे। इसके बाद 1999 से 2004 तक वे 5 वर्ष तक इंदौर नगर निगम के सभापति पद पर रहे। 2013 में इंदौर विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष बनाए गए। 2019 में जब भारतीय जनता पार्टी ने उन्हें लोकसभा का टिकट दिया तो भारतीय जनता पार्टी करीब 5 लाख 47 हज़ार वोटों के ऐतिहासिक अंतर से अपने निकटतम प्रतिद्वंदी कांग्रेस पार्टी से जीत हासिल की। सांसद बनने के बाद, वह लोकसभा में आवास और शहरी मामलों की स्थायी समिति, सदन की बैठक से सदस्यों की अनुपस्थिति संबंधी समिति, संस्कृति और पर्यटन मंत्रालय की सलाहकार समिति, सहकारिता विभाग सलाहकार समिति, उपभोक्ता मामले खाद्य और सार्वजनिक वितरण परामर्श समिति एवं एमएसएमई नेशनल बोर्ड के भी सदस्य हैंं।

सांस्कृतिक और सामाजिक गतिविधियों में उनका सक्रिय योगदान रहा है। देश में जब पश्चिमी सभ्यता पैर पसारने लगी तो उन्होंने कहा कि हमें अपनी संस्कृति युवाओं और आम लोगों तक पहुंचानी होगी और इसलिए पिछले 25 वर्षों से वे मालवा उत्सव, राजवाडा पर हरतालिका तीज उत्सव, हिंदू नववर्ष पर सूर्य अर्घ्य समेत कई कार्यक्रमों का आयोजन कर वे लोक संस्कृति मंच के माध्यम से वे भारतीय कला एवं संस्कृति के क्षेत्र को समृद्ध करने में लगे हुए हैं।

कला और संस्कृति कार्यक्रमों में युवाओं को शामिल करना उनका लक्ष्य होता है और बड़ी संख्या में लोग उनके आयोजनों से जुड़े होते हैं। इंदौर के छोटे से छोटे सांस्कृतिक आयोजन से लेकर बड़े से बड़े आयोजन तक में उनकी भूमिका साफ नजर आती है। चाहे वह हरतालिका महोत्सव हो या गुड़ी पड़वा महोत्सव, सिंधी, महाराष्ट्रीयन, बंगाली, जैन, नेपाली, साउथ इंडियन एवं अन्य सभी समुदाय के लोगों द्वारा आयोजित कार्यक्रम हों। हर साल वे इंदौर में मालवा उत्सव जैसे लाइव कार्यक्रम आयोजित करते हैं, जिसमें लाखों लोग भाग लेते हैं और भारतीय संस्कृति और सभ्यता से परिचित होते हैं। मालवा उत्सव के माध्यम से उन्होंने देश की संस्कृति को लोकप्रिय बनाने का काम किया है और कलाकारों के लिए नई संभावनाएं भी खोली हैं। इसके साथ ही उन्होंने लुप्त होती कलाओं को एक मंच दिया और भारतीय हस्तकलाओं और कारीगरों को बाजार उपलब्ध कराने का काम किया। उनके प्रयासों से इंदौर में कला एवं संस्कृति के क्षेत्र में 9 विश्व कीर्तिमान स्थापित हुए।

बुनियादी ढांचे के विकास में उनकी गहरी दिलचस्पी है। वह इंदौर और आसपास के सभी शहरों के विकास को लेकर काफी गंभीर हैं। शायद उनकी रुचि को ही देखते हुए उन्हें संसदीय समिति एवं शहरीय विकास समिति का सदस्य बनाया गया है। लगातार 2 बार इंदौर विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष रहते हुए उन्होंने इंदौर और उसके आसपास के क्षेत्रों के विकास के लिए कई योजनाएं बनाईं और उन्हें लागू करने के लिए प्रेरित किया।

यदि आज इंदौर को विकसित रूप में देखा जाए तो इसके पीछे शंकर लालवानी का महत्वपूर्ण योगदान है, जो उन्होंने पार्षद, अध्यक्ष नगर निगम और इंदौर विकास प्राधिकरण के प्रमुख के रूप में किया। इंदौर के लगातार कई वर्षो तक स्वच्छता में अव्वल रहने के पीछे शंकर लालवानी का सराहनीय योगदान रहा है इसीलिए उन्हें इंदौर को सबसे स्वच्छ शहर घोषित किए जाने के अवसर पर दिल्ली में एक भव्य समारोह में राष्ट्रपति द्वारा पुरस्कृत किया गया। वह हमेशा लोगों को स्वच्छता के प्रति जागरूक करने का काम करते रहे हैं।

उन्हें कबड्डी और स्विमिंग जैसे खेलों में दिलचस्पी है। वह नियमित रूप से योग करते हैं और शाकाहारी जीवन शैली का पालन करते हैं। इन्दौर की ट्रैफिक समस्या के समाधान के लिए उन्होंने शहर के कई पुलों और फ्लाईओवरों के लिए पहल की। आज इन सभी के इंदौर में होने से काफी हद तक यातायात में सुविधा हुई है। उन्होंने शहर और उसके आसपास बड़ी संख्या में पेड़ लगाने का अभियान चलाया था। इसके साथ ही उन्होंने युवाओं को रोजगार देने के लिए कई योजनाएं भी शुरू की हैं। इंदौर शहर की खूबसूरती में उनका योगदान भी अतुलनीय है।